शिवजी की कांवॅड यात्रा का महत्व

ध्यान योग
ध्यान योग
मार्च 4, 2019
12 ज्योतिर्लींगों में शिव दर्शन से मिलता है पुण्य
अगस्त 26, 2019
सावन का महीना शिवजी को अत्यंत प्रिय है | जो कोई भी व्यक्ति इस महीने में शिवजी की पूजा-अर्चना करता है, उनके और दिनों की अपेक्षा इससे पूजा का दस गुना फल प्राप्त होता है |

एक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन से निकले विष का पान करने से शिवजी की देह जलने लगी तो उसे शांत करने के लिए देवताओं ने विभिन्न पवित्र नदियों और सरोवरों के जल से उन्हे स्नान करवाया | तभी से सावन माह में कांवॅड में सुदूर स्थानों से पवित्र जल लाकर शिवजी का जलाभिषेक करने की परंपरा प्रारंभ हुई |

यह माह शिवजी को शीतलता प्रदान करता है | शिवजी के साथ उनके पूरे परिवार की पूजा करनी चाहिए, तभी पूजा पूर्ण मानी जाती है | शिवरात्रि की पूजा रात्रि के चारों प्रहर में करनी चाहिए | शिवजी को बेलपत्र और धतूरा प्रसाद में अतिप्रिय है | इनकी पूजा दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का पंचामृत बना कर करें | अर्थात पंचामृत से स्नान कराएँ | इस के बाद जनेयु पहनाएँ | अंत में भांग का प्रसाद चढ़ाएँ |

शिव का त्रिशूल और डमरू की ध्वनि का संबंध मंगल और गुरु से है | चंद्रमा शिवजी के मस्तक पर विराजमान होकर अपनी कांति से अनंताकाश में जटाधारी महामृत्युंजय को प्रसन्न रखता है | महामृत्युंजय मंत्र शिव आराधना का महामंत्र है |