शनि साढ़े सती तथा ढैय्या

शनि ग्रह के सबसे अधिक भयानक परिणामों माने जाते हैं! शनि के साथ कई तरह की धारणाओं को जोड़ा जाता है और इन धारणाओं में शनि की साढ़े सती तथा शनि के ढैय्या को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है।

सबसे पहले शनि की साढ़े साती! माना जाता है कि जब-जब शनि ग्रह गोचर में भ्रमण करते हुए किसी कुंडली में चन्द्र राशि से बाहरवीं, पहली या दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं तो व्यक्ति के जीवन में साढ़े साती का प्रवेश हो जाता है! जो उसके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में तरह-तरह की समस्याएं लेकर आती है। शनि एक राशि में लगभग अढ़ाई वर्ष तक भ्रमण करते हैं तथा इस तरह तीन राशियों में भ्रमण पूरा करने में उन्हें लगभग साढ़े सात वर्ष लग जाते हैं। इसी लिए इसे साढ़े साती कहा गया है! साढ़े सती को आगे फिर तीन चरणों में विभाजित किया जाता है। शनि ग्रह के चन्द्र राशि से बाहरवीं राशि में भ्रमण को पहला चरण, चन्द्र राशि से पहली राशि में भ्रमण को दूसरा चरण तथा चन्द्र राशि से दूसरी राशि में भ्रमण को तीसरा चरण कहा जाता है।

दूसरे शनि की ढैय्या ! इस धारणा के अनुसार जब-जब शनि गोचर में किसी कुंडली में चन्द्र राशि से चौथी तथा आठवीं राशि में भ्रमण करते हैं तो व्यक्ति के ज़ीवन में ढैय्या का असर माना जाता है! शनि एक राशि में लगभग अढ़ाई वर्ष तक भ्रमण करते हैं, इसी लिए इस धारणा का नाम ढैय्या रखा गया है जिसका मतलब है, शनि ग्रह का किसी एक विशेष राशि में से गोचर भ्रमण।

शनि की साढ़े सती तथा ढैय्या उन्ही लोगों के जीवन में मुसीबतें लेकर आते हैं जिनकी कुंडली में शनि जन्म से ही बुरा असर दे रहे होते हैं जबकि जिन लोगों कि कुंडली में शनि जन्म से शुभ असर दे रहे होते हैं, उन लोगों के जीवन में शनि की साढ़े सती तथा ढैय्या का बुरा असर कम होता है! इसलिए किसी व्यक्ति विशेष के लिए शनि साढ़े सती तथा शनि ढैय्या के असर देखने के लिए यह देखना अति आवश्यक है कि शनि उस व्यक्ति की जन्म कुंडली में कैसा असर दे रहे हैं।