नाग पंचमी

भगवान शिव की पूजा में वर्जित वस्तुएँ
अगस्त 26, 2019
सावन माह में पंचमी तिथि को नाग पंचमी के नाम से पुकारा जाता है | इस तिथि को नागों की पूजा की जाती है इसलिए इसे नाग-पंचमी कहते हैं |

नाग भगवान शिव जी के गले के हार हैं और भगवान विष्णु की शैय्या भी। इन्हीं कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है। वर्षा ऋतु में भू गर्भ में बिलों में जल भर जाने के कारण नाग निकल कर भू तल पर आ जाते हैं। वह किसी मनुष्य के अहित का कारण न बनें इसके लिये भी नाग देवता को प्रसन्न करने के लिये नाग पंचमी की पूजा की जाती है। इस दिन सर्पों के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। और दूध चढ़ाया जाता है।

नागों के 12 नाम इस प्रकार हैं -

अनंत, वासुकि, शंख, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अष्ववर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक एवं पिंगल |

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सर्पों को पौराणिक काल से ही देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का अत्यधिक महत्व है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने वाले व्यक्ति को सांप के डसने का भय नहीं होता। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सर्पों को दूध पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के द्वार के दोनों ओर नाग देवता की प्रतिमा बना कर उनकी दूध, दूर्वा, फूल, चावल, पेड़े आदि से उनकी पूजा करें |

नाग और नागिन में परस्पर बहुत प्रेम होता है | हम यदि किसी एक को मार देंगे तो दूसरा अवश्य आप से बदला लेगा | इस दृष्टि से भी सर्प को मारना नहीं चाहिए | जन्म-जन्मान्तर तक वैर भाव चलता रहता है | यदि आपके कुल में किसी ने सर्प की हत्या की है तो आपको पीढ़ी-दर-पीढ़ी काल सर्प योग भोगना ही पड़ेगा | जिनकी कुंडली में काल-सर्प दोष है वे मंदिर में शिवलिंग पर चाँदी का नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाएं |