महादेव को देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। वहीं तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से जाना जाता है। शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वेदों में शिव को रुद्र कहते हैं। शिव व्यक्ति की चेतना के सूत्रधार कहे जाते हैं। उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है।
शिव एक मात्र ऐसे भगवान हैं जो हर तरह की पूजा स्वीकार कर लेते हैं। उन पर अकौड़ा, धतूरा, भांग, दूध और चंदन सब कुछ अर्पित करके प्रसन्न किया जा सकता है। सावन का महीना तो है ही भगवान शिव को समर्पित |
कुछ बातें भोले को भी नहीं भाती हैं उनका ख्याल जरूर रखें। जैसे कुछ चीजें हैं जो शंकर की पूजा में इस्तेमाल करना वर्जित है | आइये जाने क्या हैं वे चीजें।
शंख: भगवान विष्णु और ब्रह्मा दोनों की पूजा में शंख का प्रयोग होता है लेकिन शिवजी का अभिषेक कभी भी शंख से ना करें। कहते हैं जबसे शंकर जी ने शंखचूड़ राक्षस का वध किया है तबसे उनकी पूजा में शंखनाद का निषेद्ध हो गया है।
तुलसी: शिव जी की पूजा में तुलसी की पत्ती का प्रयोग भी नहीं होता, क्योंकि उन्हें वृंदा रूप में तुलसी के पति जलंधर का भी वध किया था। इसीलिए शिव के भोग में बेलपत्र चढ़ता है तुलसी नहीं।
खंडित अक्षत: वैसे तो कोई खंडित चीज किसी भगवान पर नहीं चढ़ानी चाहिए पर जब अक्षत अर्पण करने की बात आती है तो हम अक्सर ध्यान नहीं देते की कहीं वे टूटे हुए तो नहीं हैं। शिव जी की पूजा में विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें टूटे चावल यानि खंडित अक्षत ना चढ़ायें।
केतकी पुष्प: एक बार शिव से झूठ बोलने दंड केतकी आज तक भुगत रही है इसलिए शिव जी पर केतकी का पुष्प अर्पित नहीं होता वैसे शिव पर गुड़हल का फूल भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
लाल चंदन: शिव बैरागी हैं और उन पर बैराग्य का प्रतीक केसरिया या पीला चंदन चढ़ाया जाता है। लाल चंदन उन पर बिलकुल नहीं चढ़ाना चाहिए।