स्वयं को जानना ही सर्वोच्च ज्ञान है ! अगर हम स्वयं को नही जान पायर तो सब बेकार है ! स्वयं को जानना ही व्यक्ति की पूर्णता का प्रतीक है ! लेकिन व्यक्ति का स्वभाव बिल्कुल इससे अलग होता है, वह हमेशा दूसरों को जानने में ही अपना समय व्यतीत करता है ! दूसरों को जान कर क्या करोगे, कुछ हासिल नहीं होता - वह सही है तो अपने लिए और ग़लत है तो अपने लिए ! यदि हम दूसरों से ध्यान हटा कर स्वयं को समझने का प्रयास करें तो एक ना एक दिन हम अपने को समझ पाएँगे और यहीं से आत्मज्ञान की शुरुआत हो जाएगी ! यहीं से हम आत्मज्ञान की पहली सीढ़ी पर चढ़ेंगे और धीरे-धीरे हम उपर चढ़ते जाएँगे और हमें आत्मज्ञान की प्राप्ति होती चली जाएगी !
एक दिन वो आएगा कि हमारा दिमाग़ किसी और को जानने की तरफ नहीं जाएगा ! स्वयं को जानना या पहचानना ही व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी समस्या या चुनौती है ! यदि हम अपने को जानने की कोशिश नहीं करेंगे तो हमारा जीवन अन्य पशु-पक्षी की तरह ही रहेगा ! सोना और खाना तो वो भी हर वक्त करते हैं ! हर पल हमारी साँसों का ख़ज़ाना कम होता जा रहा है, इसका सदुपयोग करें !
हमें अपने को जानना होगा कि हम क्या हैं ! आत्मचिंतन करना होगा कि हमें ज़िंदगी में क्या करना है ? अपने जीवन का एक लक्ष्य रखना होगा, तभी आगे कदम बढ़ाकर भविष्य की संरचना कर सकेंगे ! ज्ञान की पहली सीढ़ी ही स्वयं को जानने की है ! यदि इस जगह अंधेरा है तो हमारा सारा पथ ही अंधकार मय हो जाएगा ! और यदि हमने इस स्थान को ज्ञान द्वारा प्रकाशित कर लिया तो हमारा सारा रास्ता प्रकाशमय होगा ! और हम जितनी गहराई से अपने को जानते जाएँगे उतने ही ज्ञान को गहराई से समझते जाएँगे !
जैसे-जैसे हम समुद्र की गहराई में पहुँचते हैं वैसे-वैसे ही बहुमूल्य रत्नों की प्राप्ति होती जाती है ! स्वयं को गहराई से जा कर जानोगे तो अपने अंदर ही अमूल्य ज्ञान की प्राप्ति होती जाएगी और उस ज्ञान के द्वारा हम दूसरों का जीवन भी प्रकाशमय कर देंगे ! जैसा कहा भी गया है कि "ज्ञान हम जितना दूसरों बाँटेंगे उससे ज़्यादा हमारे पास आता जाएगा" ! सिर्फ़ अपने को जानो और अपना व दूसरों का जीवन सफल बनाओ !