भकूट दोष को गुण मिलान से बनने वाले दोषों में बहुत गंभीर दोष माना जाता है। विवाह आदि के लिए गुण मिलान की विधि का प्रयोग वैदिक समयों से होता आ रहा है। माना जाता है कि विवाह आदि के लिए कुंडली मिलान की प्रक्रिया में केवल गुण मिलान कर लेना ही पर्याप्त है! कुंडली मिलान के लिए गुण मिलान के अतिरिक्त भी अन्य कई तथ्यों जैसे कि दोनों कुंडलियों में शुभ-अशुभ ग्रहों द्वारा बनाए जाने वाले योगो अथवा दोषों पर विचार करना भी आवश्यक! गुण मिलान के लिए मिलाए जाने वाले आठ कूटों में से भकूट भी एक कूट है जिसके न मिलने पर भकूट दोष बन जाता है जो धन हानि, संतान हानि, दुर्घटना जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।
यह जान लें कि भकूट दोष वास्तव में होता क्या है तथा ये दोष बनता कैसे है। गुण मिलान की प्रक्रिया में आठ कूटों का मिलान किया जाता है जिसके कारण इसे अष्टकूट मिलान भी कहा जाता है ! ये आठ कूट हैं, वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी! आइए देखें कि भकूट वास्तव में होता क्या है। कुंडली में जिस राशि में चन्द्रमा स्थित होते हैं वही राशि कुंडली का भकूट कहलाती है। भकूट दोष का निर्णय वर-वधू की जन्म कुंडलियों में चन्द्रमा की किसी राशि में उपस्थिति के कारण परस्पर 6-8 (षड़-अष्टक भकूट दोष), 9-5 (नवम-पंचम भकूट दोष) या 12-2(द्वादश-दो भकूट दोष) राशियों में स्थित हों तो भकूट मिलान के 0 अंक माने जाते हैं तथा इसे भकूट दोष माना जाता है। भकूट दोष के अनुसार षड़-अष्टक भकूट दोष होने से वर-वधू में से एक की मृत्यु हो जाती है, नवम-पंचम भकूट दोष होने से दोनों को संतान पैदा करने में मुश्किल होती है या फिर सतान होती ही नहीं तथा द्वादश-दो भकूट दोष होने से वर-वधू को दरिद्रता का सामना करना पड़ता है।
कुंडली मिलान के किसी मामले में केवल भकूट दोष का उपस्थित होना अपने आप विवाह को तोड़ने में सक्षम नहीं है! यह बात ध्यान देने योग्य है कि किसी भी कुंडली में किसी ग्रह द्वारा बनाया गया विवाह संबंधी कोई शुभ या अशुभ योग गुण मिलान के कारण बनने वाले दोषों की तुलना में बहुत अधिक प्रबल होता है तथा दोनों का टकराव होने की स्थिति में लगभग हर मामले में ही विजय कुंडली में बनने वाले शुभ अथवा अशुभ योग की ही होती है। इसलिए कुंडली में विवाह संबंधी बनने वाला मांगलिक योग जैसा कोई शुभ योग गुण मिलान में भकूट दोष अथवा अन्य भी दोष बनने के पश्चात भी जातक को सफल तथा सुखी वैवाहिक जीवन देने में सक्षम है जबकि कुंडली में विवाह संबंधी बनने वाले मांगलिक दोष अथवा काल सर्प दोष जैसे किसी भयंकर दोष के बन जाने से भकूट मिलने के पश्चात तथा 36 में से 30 या इससे भी अधिक गुण मिलने के पश्चात भी ऐसे विवाह टूट जाते हैं अथवा गंभीर समस्याओं का सामना करते हैं।
विवाह के लिए उपस्थित वर वधू को केवल भकूट दोष के बन जाने के कारण ही आशा नहीं छोड़ देनी चाहिए तथा अपनी कुंडलियों का गुण मिलान के अलावा अन्य विधियों से पूर्णतया मिलान करवाना चाहिए क्योंकि इन कुंडलियों के आपस में मिल जाने से भकूट दोष अथवा गुण मिलान से बनने वाला ऐसा ही कोई अन्य दोष ऐसे विवाह को कोई विशेष हानि नहीं पहुंचा सकता।